Wednesday, April 5, 2017

सौदा बुरा नहीं है


                                                                      

फिर वही ग्वालियर का किला 
फिर उसी कमरे में 
झरोखे से फिसलती , 
मन और तन को सहलाती धूप I
सूखे पत्तों के आपस में टकराने की आवाज़ 
घर के पीछे वाले रास्ते पर सब के साथ 
घूमना - घुमाना ,
हँसी, बातें और मौन I 
किले में चारों तरफ बिखरे फालसई , लाल , पीले रंग I 

पर इस बार , पत्तों की आवाज़ 
रास्ता, बातें, मौन और यह सारे रंग 
 जो किले की गोद में बिखरे पड़े हैं I
फीके हैं I

तुम इनकी खनक, चटक, गर्माहट और संगीत लेकर 
आराम से कहीं बैठे हो I
अगर तुम मुझे ये सब लौटा दो I
तो पक्का वादा है -
जो खनक, चटक, गर्माहट और संगीत 
मैंने तुम से चुराया  है ,
वापस कर दूंगा 
सोचो मत , 
सौदा बुरा नहीं है I 

Wednesday, October 28, 2015


                                                                      खच्चर हैं हम ?


अगर कोई धृष्टता हो तो मुझे माफ़ करियेगा I बातों बातों में पता लगा कि हम खच्चर हैं I कुछ ज्ञानी लोग कहते हैं कि चूँकि गधे और घोड़े के मेल से खच्चर पैदा होते हैं I तो आर्यों और द्रविड़ों के मेल से, अफ्रीकी और यूरोपियन के मेल से, दक्षिण भारतीय और पूर्वोत्तर भारतीय के मेल से, काश्मीरी और पश्चिम उत्तर प्रदेश  के मेल से, सिख और बौद्ध के मेल से , गरीब और अमीर के मेल से और ख़ास कर हिन्दू और मुस्लिम के मेल से जो संतान आती है वो भी खच्चर हैंI न्याय दर्शन का तकाज़ा भी है I बात सच भी हो सकती है I और अगर यह बात सच है, तो मुझे अपने हिन्दू होने की बात तो जाने दीजिए अपने इंसान होने पर ही शक हो गया I जब सुना कि हिन्दू और मुस्लिम के मेल से खच्चर पैदा होते हैं I तो न्याय दर्शन का (संस्कृत में एक प्रकार का दर्शन जिसमें हम तर्क के माध्यम से इश्वर तक पहुचते हैं I) ध्यान रखते हुए मुझे लगा कि इतिहास कहता है कि हम आर्य हैं I उनकी नीली आँखें, तीखी नाक और ऊंचा कद तथा गोरा रंग होता था I हम वैसे नहीं हैं I

 कहीं यार हम खच्चर तो नहीं I कोई द्रविड़ संकृति वाला बीच में तो नहीं आ गया बीस पीढ़ी पहले I फिर आज देश की हालत देखी I जिन्होंने कभी पढाई नहीं की वो शिक्षा मंत्री हैं I जिनका देश की संस्कृति से कुछ लेना देना नहीं वो संस्कृति मंत्री हैं I फिल्म निर्माण का ककहरा भी ना जानने  वाले FTII के निदेशक हैंI गाय की कभी सेवा न करने वाले गौ भक्त हैं I गलती से एक डॉक्टर को चिकित्सा मंत्रालय दे दिया गया लेकिन शीघ्र ही उसकी अयोग्यता की वजह से ले लिए गया (डॉ हर्षवर्धन)  और जगत प्रकाश नड्डा को दे दिया जिनके पिता डॉक्टर थेI चार बच्चे पैदा करने की बात वो लोग करने लगे जो खुद उस जिम्मेदारी से भाग गए I

वास्तव में ये हालात देखकर लग रहा है कि हम खच्चर हैं और इस समय हमारा खच्चरत्व उबाल पर है I आज हम न भारतीय हैं न हिन्दू बस हैं तो सिर्फ खच्चर I   धन्यवाद है आपको कि आपने सच से परिचित करायाI  अब इंतज़ार में हूँ कि वर्तमान में राज करने वाला राजनैतिक दल हमें  खच्चर साबित करने के लिए और कौन सा मुद्दा उछालेगा और हम उसको सही साबित करते हुए उस और दौड़ पड़ेंगे और कहेंगे यही तो असली मुद्दा है जैसे राम जन्म भूमि था, जैसे इलेक्शन जीतने से पहले कॉमन सिविल कोड था I



Monday, October 19, 2015

रचनाकार का डर

कविताओं के बहुत अर्थ हो गए हैं,
लिखने का मन करता है, लिखता नहीं
डर जाता हूँ कि कहीं उसके अर्थ को,
 हरे, केसरिया रंग ले न उड़ें  I

ले जाकर उस अर्थ को आसमान पर
इतना ऊंचा टांग दें कि फिर
मैं अपनी कविता को दूर से देख भर पाऊँ
किन्तु उसका अर्थ किसी को बता न पाऊँ,
समझा न पाऊँ,
क्योंकि हर कोई उसका अर्थ
हरे और केसरिया रंग में रंग चुका होगा,
और मुझ से ही कह रहा होगा
"कमाल है यार इतनी सरल कविता का
अर्थ........... नहीं पता तुम्हे ?"